भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध Essay on Education System in India (Hindi)

भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध Education system in India Hindi

इस लेख में आप भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध (Essay on Indian Education System in Hindi) पढ़ेंगे। जिसमें भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली के विषय में, भारतीय शिक्षा व्यवस्था का विकास, शिक्षा प्रणाली के गुण और दोष को आसान भाषा में समझाया गया है।

Table of Content

भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली Current Education System of India in Hindi

किसी भी देश का भविष्य उसकी शिक्षा प्रणाली पर ही निर्भर करता है। जिस देश में साक्षरता दर जितनी अधिक रहेगी वह देश उतना ही विकसित होगा। जीवन में शिक्षा का महत्व उतना ही होता है, जितना जीवित रहने के लिए भोजन का होता है। शिक्षा के विषय में एक प्रसिद्ध कहावत है, कि शिक्षा स्वयं शक्ति होती है।

भारत की प्राचीन शिक्षा प्रणाली पूरे विश्व में विख्यात थी। पूरी दुनिया ही भारत की प्राचीनतम शिक्षा पद्धति की कायल रही है।

हम जानते हैं, कि सोने की चिड़िया कहीं जाने वाली हमारी भारत माता को कई विदेशी आक्रमणकारियों ने बंधी बनाया है। सभी ने अपने अपने अनुसार बदलाव करके भारतीय संस्कृति में शिक्षा का नक्शा ही बदल कर रख दिया है।

वर्तमान समय में यदि भारतीय शिक्षा पद्धति की बात करें तो यह पहले जैसे बिल्कुल भी नहीं रही है। वास्तव में हमने वह हीरा गंवा दिया है, जिस पर हमारा एकाधिकार हुआ करता था। वर्तमान शिक्षा प्रणाली में बहुत सारी त्रुटियां उत्पन्न हो गई है, जो भारत के विकास में काफी हद तक  बाधा डाल रही हैं।

एक ऐसा समय हुआ करता था जब दूसरे देश के लोग हमारे गुरुकुल प्रणाली से शिक्षा ग्रहण करने आया करते थे। लेकिन आज हमारे ही लोगों को अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के लिए कैंब्रिज और ऑक्सफर्ड जैसे दूसरे देशों की विश्वविद्यालयों में जाना पड़ता है।

गरीबी , भ्रष्टाचार , गुनाह, चोरी-डकैती इत्यादि जितने भी अपराध वर्तमान में हम देखते हैं, वे सभी निरक्षरता की ही देन है।

वर्तमान की भारतीय शिक्षा प्रणाली युवाओं के खासियत के बदले उनके परीक्षा परिणाम और सर्टिफिकेट ग्रेडिंग जैसे चीजों पर ज्यादा यकीन करते हैं। आज के समय में भारतीय कई देशों में फैले हुए हैं और वे विदेशों में बड़े वरिष्ठ पदों पर अपनी सेवाएं भी दे रहे हैं।

हिंदुस्तान के हर गली कूचे में श्रेष्ठ विशेषताओं वाले लोग मिल ही जाते हैं, लेकिन तथाकथित शिक्षा का कोई सर्टिफिकेटना ना होने अथवा भारत की खराब शिक्षा प्रणाली के कारण उन्हें देश में कोई नाम नहीं मिल पाता है।

भारतीय शिक्षा व्यवस्था का विकास Development of Indian Education System in Hindi

भारतीय शिक्षा का वास्तविक स्त्रोत वैदिक काल से ही मिलता है। यह वह काल था, जहां बड़े-बड़े गणितज्ञ, ज्योतिष, वैज्ञानिक, चिकित्सक आदि ने न केवल भारत अपितु पूरे दुनिया को शिक्षा का एक नया आयाम दिखाया था। जब मुग़ल आक्रमणकारियों ने भारत पर आक्रमण किया था, तो उसके साथ ही उन्होंने शिक्षा के लगभग सारे स्त्रोतों को मिटा दिया था।

विश्व की पहली सुविधा युक्त नालंदा विश्वविद्यालय को बख्तियार खिलजी द्वारा जला दिया गया था। ऐसा माना जाता है, कि हमारे कई धार्मिक ग्रंथों को मुगल आताताईयों द्वारा चुरा लिया गया था और जिसे वह अपने साथ ले जाने में असफल रहे थे, उन सभी शिक्षा स्त्रोतों को जला दिया गया था।

जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा भारत को गुलाम बनाया गया था, उसी दौरान भारत में एक नई शिक्षा पद्धति का विकास भी हुआ था।

इस समय भारत में लोगों को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए एक बार फिर से प्रयत्न किए गए थे। सर्वप्रथम कोलकाता मदरसा नामक शिक्षा संस्थान वारेन हेस्टिंग्स द्वारा 1781 में स्थापित किया गया था।

वही हिंदू धर्म के लोगों के लिए 1791 में बनारस में संस्कृति कॉलेज का निर्माण जोनाथन डंकन के जरिए किया गया था। इससे यह पता चलता है, कि अंग्रेजों ने  भारत को गुलाम बना कर लूटने के अलावा  आधुनिकता के लिए प्रेरित कर कुछ अच्छे कार्य भी किए थे।

यदि देखा जाए तो भारत में शिक्षा का विकास करने के लिए अंग्रेजों में कोई भी रुचि नहीं थी। अंग्रेज जानते थे कि यदि उन्हें भारत में एक लंबे समय तक राज करना है तो उन्हें भारतीयों के साथ अपने संबंध स्थापित करने होंगे ताकि वे अंग्रेजों की तरफ से कार्य करके लोगों तक संदेश पहुंचाएं। वर्तमान भारत में जिस ढांचे की शिक्षा पद्धति आज विस्तृत रूप ले चुकी है, वह अंग्रेजों की ही देन है।

भारत में गुलामी के समय गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बेंटिक द्वारा बंगाल और बिहार में शिक्षा व्यवस्था को स्थापित करने के लिए कई ईसाई धर्म प्रचारक विद्यालयों और विश्वविद्यालयों को भी स्थापित किया गया था। इन सभी शिक्षण संस्थाओं में नए नए पाठ्यक्रम को शामिल किया जाता था।

सन 1835 में गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बेंटिक के समक्ष लॉर्ड मेकाले द्वारा एक परिषद में अंग्रेजी शिक्षा अधिनियम 1835 नामक एक शिक्षण कानून को पारित किया गया था।

आपको बता दें कि लॉर्ड मेकाले वर्तमान भारत में पाश्चात्य शिक्षा पद्धति के जनक माने जा सकते हैं। इसके बाद भारतीय शिक्षा पद्धति में बदलाव करने के लिए कई योजनाएं और समितियां बनाई गई थी।

भारतीय शिक्षा प्रणाली के गुण Features of Education System in India (Hindi)

यदि प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली की बात की जाए तो वहां कोई विद्यालय या विश्वविद्यालय नहीं हुआ करते थे।

शिक्षा प्राप्त करने के लिए गुरुकुल प्रणाली होती थी, जो वाकई में स्वयं में ही एक अद्भुत शिक्षा पद्धति थी।  सदियों पहले चलने वाली हमारी गुरुकुल शिक्षा पद्धति इतनी विख्यात थी जहां प्रत्येक स्वदेशी तथा विदेशी लोग भी आया करते थे।

हिंदुस्तान के महान गणितज्ञ आर्यभट्ट , नागार्जुन, महर्षि सुश्रुत , महर्षि चरक , पतंजलि ऋषि इत्यादि न जाने कितने महान लोगों ने दुनिया को नए अविष्कार दिए हैं। प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली की ही देन है, जिससे हमारा भारत विश्व गुरु के नाम से जाना जाता था।

अंग्रेजों द्वारा दिया गया शिक्षा पद्धति भी काफी हद तक आधुनिक भारत के लिए एक अच्छा उपहार माना जा सकता है। वर्तमान शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों के बीच किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता है। जाति, धर्म, रंग रूप, लिंग आदि बिना किसी ऊंच-नीच का अंतर किए बिना सभी को शिक्षा दिया जाता है।

विद्यालयों में विद्यार्थियों को काफी कुछ सीखने को मिलता है। पूरे अनुशासन और नियम कानून के साथ बच्चों को शिक्षा के माध्यम से एक अच्छा नागरिक बनाने का प्रयत्न किया जाता है। शैक्षणिक संस्थानों के जरिए ही बच्चों का सर्वांगीण विकास हो पाता है।

आज के समय में सभी क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा होती हैं। जब विद्यार्थी कक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए पाठ्यक्रम को अच्छी तरह से समझ कर पढ़ता है तो उसे बहुत कुछ जानने और समझने को मिलता है।

वर्तमान समय के भारतीय शिक्षा प्रणाली का पाठ्यक्रम दूसरे देशों के पाठ्यक्रमों से मिलता जुलता है। समान पाठ्यक्रम होने से विद्यार्थियों को दूसरे देश की संस्कृति और व्यवस्थाओं को समझने में काफी मदद मिलती है।

लोगों को शिक्षा के प्रति आकर्षित और प्रेरित करने के लिए अच्छे अंक प्राप्त करने के बाद काफी सारे इनाम भी रखे जाते हैं। यदि विद्यार्थी गण परीक्षाओं में अच्छे अंको से पास होते हैं, तो उन्हें निशुल्क शिक्षा भी उपलब्ध कराई जाती है।

भारतीय शिक्षा प्रणाली के दोष Defects of Education System in India (Hindi)

भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली भले ही आधुनिकता से परिचित है, लेकिन शिक्षा प्राप्त करने वाले लोगों को इसका कोई खास फायदा नहीं होता है।

यदि स्वर्ण के बदले पत्थरों को प्राप्त करके संतोष कर लिया जाए, तो यह एक मूर्खता है। हम भारतीयों के साथ ऐसा ही अन्याय हुआ है, क्योंकि हमारी श्रेष्ठतम शिक्षा प्रणाली को नष्ट करके हम पर पाश्चात्य शिक्षा प्रणाली को जबरदस्ती थोप दिया गया है।

आज की शिक्षा पद्धति हमें विकास की तरफ ले जाने के बदले पीछे धकेल रही है, जिसे हम अपना सौभाग्य समझ रहे हैं। अंग्रेजों ने जिस शिक्षा पद्धति को भारत में लागू किया था, उससे काफी नकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।

यदि वास्तव में शिक्षा के संदर्भ में बात किया जाए तो आज विद्यार्थियों को केवल किताबी कीड़ा बनने का प्रोत्साहन दिया जा रहा है। पाठ्यक्रम को रट कर कक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

यह वास्तविकता है, कि परीक्षा के बाद कुछ ही ऐसे विद्यार्थी होते हैं, जिन्हें वह रटा हुआ पाठ्यक्रम लंबे समय तक याद रह सके। पढ़ाई करने का सही तरीका जनना बहुत जरूरी है।

भारत में ग्रेडिंग सिस्टम को बढ़ावा दिया जाता है, जहां विद्यार्थियों के बुद्धिमता को केवल परीक्षा में प्राप्त हुए  अंको से मापा जाता है। माता-पिता जाने अनजाने में अपने बच्चों पर हमेशा पढ़ाई करने के लिए जोर देते रहते हैं, बगैर यह जाने कि उनका बच्चा किसी दूसरे क्षेत्र में रुचि रखता है या नहीं।

आज के सभी स्कूल कॉलेजों में पढ़ाई के लिए बच्चों पर इतना अधिक बोझ बनाया जाता है, कि उससे विद्यार्थियों की मनोस्थिति पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे कई खबर हमें सुनने को मिल जाएंगे कि किसी विद्यार्थी ने अच्छे अंक प्राप्त ना करने के कारण अथवा फेल हो जाने के कारण आत्महत्या कर ली हो।

यह आज की विफल शिक्षा पद्धति ही है, जिसके परिणाम स्वरूप विद्यार्थियों को अपने जीवन से ज्यादा महत्वपूर्ण परीक्षा में पास होना लगता है।

यदि कोई विद्यार्थी स्कूल और कॉलेजों में शिक्षा के लिए ढेर सारे पैसे खर्च करने के बाद भी एक छोटी सी नौकरी से ही अपना जीवन निर्वाह करने पर मजबूर हो, तो यह वर्तमान शिक्षा की विफलता नहीं तो और क्या है।

कई बार तो उच्च शैक्षणिक संस्थानों से शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात भी लोगों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ता है। जो यह दर्शाता है कि भारत शिक्षा के क्षेत्र में कितना पीछे हो गया है।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने हिंदी में भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध (Essay on Education System in India Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको अच्छा लगा होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो और जानकारी से भरपूर लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।

4 thoughts on “भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध Essay on Education System in India (Hindi)”

It’s really give me a good chance to know about education system in India

Sir ya mem aap jo bhi h apne dil khush kr diya bakai m aap desh ki condition samjhte h Thank you

Sir jo bhi aap nibandh ke jariye kaha hai bilkul sahi hai thank sir

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दा इंडियन वायर

भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध

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By विकास सिंह

indian education system essay in hindi

विषय-सूचि

भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध, essay on indian education system in hindi (200 शब्द)

भारतीय शिक्षा प्रणाली विदेशी राष्ट्रों से काफी अलग है। पश्चिमी देशों में पाठ्यक्रम काफी हल्का और व्यावहारिक ज्ञान पर आधारित माना जाता है, जबकि भारत में फोकस सैद्धांतिक ज्ञान और रट कर प्राप्त अंकों पर है।

छात्रों से अपेक्षा की जाती है कि वे सारे अध्याय रटें और कक्षा में अच्छे ग्रेड लाएँ। भारतीय स्कूलों में अंकन प्रणाली प्राथमिक कक्षाओं से शुरू होती है, जिससे छोटे बच्चों पर बोझ पड़ता है। प्रतियोगिता दिन पर दिन बढ़ रही है। माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे अपने साथियों से बेहतर प्रदर्शन करें और शिक्षक चाहते हैं कि उनका वर्ग अन्य कक्षाओं की तुलना में बेहतर करे।

प्रतियोगिता के आगे रहने के आग्रह से वे इतने अंधे हो जाते हैं कि उन्हें एहसास ही नहीं होता कि वे बच्चों को गलत दिशा में धकेल रहे हैं। एक ऐसी उम्र में जब छात्रों को अपनी रुचियों का पता लगाने और अपने रचनात्मक पक्ष को सुधारने का मौका दिया जाना चाहिए, उन्हें एक निर्धारित पाठ्यक्रम का पालन करने के लिए दबाव डाला जाता है और अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए दिन-रात एक कर दिया जाता है।

छात्रों को गणित, भौतिकी और अन्य विषयों की विभिन्न अवधारणाओं को समझने के बजाय, अध्याय सीखने पर पूरा ध्यान केन्द्रित करवाया जाता है। इस वजह से वे व्यवहारिक ज्ञान नहीं ले पाते और ज़िन्दगी में आगे अपने लिए फैसले लेने में अक्षम होते हैं और अपनी रूचि के अनुसार पेशा भी नहीं चुन सकते हैं। अतः भारतीय शिक्षा प्रणाली का आधार बहुत अनुचित है।

भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध, essay on indian education system in hindi (300 शब्द)

भारतीय शिक्षा प्रणाली का विकास.

भारतीय शिक्षा प्रणाली पुरानी और सांसारिक कही जाती है। ऐसे समय में, जब विश्व रचनात्मक और उत्साही व्यक्तियों की तलाश में हैं, भारतीय स्कूल युवा मन कोकिताबी ज्ञान से प्रशिक्षित कर रहे हैं जोकि उन्हें बीएस किताबी कीड़ा बना रहा है तथा एक रचनात्मक व्यक्ति बन्ने से रोक रहा है।

सुझाव देने या विचारों को साझा करने की कोई स्वतंत्रता नहीं है। भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार की गंभीर आवश्यकता है जो बदले में होशियार व्यक्तियों को विकसित करने में मदद कर सकती है।

रचनात्मक सोचने की जरूरत है:

अगर हम नए आविष्कार करना चाहते हैं, तो समाज में सकारात्मक बदलाव लाने और व्यक्तिगत स्तर पर समृद्धि लाने की जरूरत है। हालाँकि, दुर्भाग्य से हमारे स्कूल हमें प्रशिक्षित करते हैं अन्यथा। वे हमें एक निर्धारित अध्ययन कार्यक्रम से जोड़ते हैं और हमें असाइनमेंट पूरा करने और सैद्धांतिक सबक सीखने में इतना व्यस्त रखते हैं कि रचनात्मकता के लिए कोई जगह नहीं बची है।

रचनात्मक सोच के लिए भारतीय शिक्षा प्रणाली को बदलना होगा। स्कूलों को उन गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो छात्र के दिमाग को चुनौती देते हैं, उनके विश्लेषणात्मक कौशल को सुधारते हैं और उनकी रचनात्मक सोच क्षमता को बढ़ाते हैं। इससे उन्हें अलग-अलग क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करने में मदद मिलेगी।

सर्वांगीण विकास की आवश्यकता:

भारतीय शिक्षा प्रणाली का प्राथमिक फोकस शिक्षाविदों पर है। यहां भी अवधारणा को समझने और ज्ञान बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित नहीं किया गया है, बल्कि केवल अच्छे अंक प्राप्त करने के एकमात्र उद्देश्य के साथ या बिना उन्हें समझने के लिए पाठों को मग करना है। भले ही कुछ स्कूलों में पाठ्येतर गतिविधियां हों, लेकिन इन गतिविधियों के लिए प्रति सप्ताह एक कक्षा शायद ही होती है।

भारतीय विद्यालयों में शिक्षा केवल सैद्धांतिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए कम कर दी गई है जो एक बुद्धिमान और जिम्मेदार व्यक्ति को उठाने के लिए पर्याप्त नहीं है। छात्रों के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने के लिए प्रणाली को बदला जाना चाहिए।

निष्कर्ष:

सत्ता में बैठे लोगों को समझना चाहिए कि भारतीय शिक्षा प्रणाली को गंभीर सुधारों की आवश्यकता है। प्रणाली को आध्यात्मिक, नैतिक, शारीरिक और मानसिक रूप से छात्रों को विकसित करने के लिए बदलना चाहिए।

भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध, indian education system essay in hindi (400 words)

प्रस्तावना :.

भारतीय शिक्षा प्रणाली ने अपनी स्थापना के बाद से अब तक काफी कुछ बदलाव देखे हैं। बदलते समय के साथ और समाज में बदलाव के साथ इसमें बदलाव आया है। हालांकि, ये बदलाव और विकास अच्छे के लिए हैं या नहीं यह अभी भी एक सवाल है।

गुरुकुल

भारतीय शिक्षा प्रणाली कई सदियों पीछे चली गई। प्राचीन काल से, बच्चों को विभिन्न विषयों पर सबक सीखने और उनके जीवन में मूल्य जोड़ने और उन्हें आत्म निर्भर जीवन जीने के लिए कुशल बनाने के लिए शिक्षकों के पास भेजा जाता था। प्राचीन काल के दौरान, देश के विभिन्न हिस्सों में गुरुकुल स्थापित किए गए थे।

बच्चे शिक्षा लेने के लिए गुरुकुल में जाते थे। वे अपने गुरु (शिक्षक) के साथ उनके आश्रम में रहे जब तक उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी नहीं की। छात्रों को विभिन्न कौशल सिखाए गए, विभिन्न विषयों में पाठ दिए गए और उनके सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने के लिए घर के काम करने में भी शामिल किया गया।

भारतीय शिक्षा प्रणाली में अंग्रेज़ों द्वारा बदलाव :

जैसे ही अंग्रेजों ने भारत का उपनिवेश बनाया, गुरुकुल प्रणाली को मिटाना शुरू कर दिया क्योंकि अंग्रेजों ने एक अलग शिक्षा प्रणाली का पालन करने वाले स्कूलों की स्थापना की। इन स्कूलों में पढ़ाए जाने वाले विषय गुरुकुलों में पढ़ाए जाने वाले विषयों से काफी भिन्न थे और इसी तरह से अध्ययन सत्र आयोजित किए जाते थे।

भारत की पूरी शिक्षा प्रणाली में अचानक बदलाव हुआ। ध्यान छात्रों के सर्वांगीण विकास से हटकर अकादमिक प्रदर्शन पर गया। यह बहुत अच्छा बदलाव नहीं था। हालाँकि, इस दौरान अच्छे के लिए एक चीज बदल गई, वह यह कि लड़कियों ने भी शिक्षा लेनी शुरू की और स्कूलों में दाखिला लिया।

एडुकॉम्प स्मार्ट क्लासेस का परिचय:

अंग्रेजों द्वारा शुरू की गई शिक्षा प्रणाली आज भी भारत में प्रचलित है। हालांकि, प्रौद्योगिकी में प्रगति के साथ कई स्कूलों ने छात्रों को शिक्षा प्रदान करने के लिए नए साधनों को अपनाया है। स्कूलों में एडुकॉम्प स्मार्ट कक्षाएं शुरू की गई हैं।

इन वर्गों ने एक सकारात्मक बदलाव लाया है। पहले के समय के विपरीत जब छात्र केवल किताबों से सीखते थे, अब वे अपने कक्षा के कमरों में स्थापित एक बड़ी चौड़ी स्क्रीन पर अपना पाठ देखने को मिलते हैं। यह सीखने के अनुभव को रोचक बनाता है और छात्रों को बेहतर समझने में मदद करता है।

इसके अतिरिक्त, छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए स्कूलों द्वारा कई पाठ्येतर गतिविधियाँ भी शुरू की जा रही हैं। हालांकि, अंकन प्रणाली अभी भी कठोर है और छात्रों को बड़े पैमाने पर अपने शिक्षाविदों पर ध्यान केंद्रित करना है।

इसलिए, प्राचीन काल से ही भारतीय शिक्षा प्रणाली में एक बड़ा बदलाव आया है। हालाँकि, हमें छात्रों के समुचित विकास के लिए प्रणाली में और सुधार की आवश्यकता है।

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भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध, indian education system essay in hindi (500 words)

प्रस्तावना:.

भारतीय शिक्षा प्रणाली को काफी हद तक त्रुटिपूर्ण कहा जाता है। यह युवा दिमाग का फायदे से ज्यादा नुकसान करता है। हालांकि, कुछ लोग यह तर्क दे सकते हैं कि यह छात्रों को एक अच्छा मंच देता है क्योंकि यह उनके दिमाग को चुनौती देता है और उनकी संतुष्टि को बढ़ाने की शक्ति पर ध्यान केंद्रित करता है। भारतीय शिक्षा प्रणाली अच्छी है या खराब इस पर बहस जारी है।

भारतीय शिक्षा प्रणाली के गुण और दोष:

जबकि सत्ता में बैठे लोग भारतीय शिक्षा प्रणाली में अच्छे और बुरे पर चर्चा करते हैं और सुधारों को लाने की आवश्यकता है या नहीं, यहाँ उसी के पेशेवरों और विपक्षों पर एक नज़र है।

भारतीय शिक्षा प्रणाली के विपक्ष

भारतीय शिक्षा प्रणाली में कई विपक्ष हैं। यहाँ प्रणाली में मुख्य विपक्ष में से कुछ पर एक नज़र है:

व्यावहारिक ज्ञान का अभाव : भारतीय शिक्षा प्रणाली का फोकस सैद्धांतिक भाग पर है। शिक्षक कक्षाओं के दौरान पुस्तक से पढ़ते हैं और अवधारणाओं को मौखिक रूप से समझाते हैं। छात्रों को सैद्धांतिक रूप से भी जटिल अवधारणाओं को समझने की उम्मीद है। अत्यधिक आवश्यक होने पर भी व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करने की आवश्यकता महसूस नहीं की जाती है।

ग्रेड पर ध्यान : भारतीय स्कूलों का ध्यान अच्छे ग्रेड पाने के लिए अध्यायों को गढ़ने पर है। शिक्षक परेशान नहीं करते हैं यदि छात्रों ने अवधारणा को समझा है या नहीं, वे सभी देखते हैं कि वे कौन से अंक प्राप्त किए हैं।

सर्वांगीण विकास के लिए कोई महत्व नहीं : ध्यान केवल पढ़ाई पर है। छात्र के चरित्र या उसके शारीरिक स्वास्थ्य के निर्माण के लिए कोई प्रयास नहीं किया जाता है। स्कूल अपने छात्रों के सर्वांगीण विकास में योगदान नहीं करते हैं।

ज़्यादा पढ़ाई का बोझ  : छात्रों पर पढ़ाई का बोझ है। वे स्कूल में लंबे समय तक अध्ययन करते हैं और उन्हें घर पर काम पूरा करने के लिए घर के काम का ढेर दिया जाता है। इसके अलावा, नियमित कक्षा परीक्षण, प्रथम अवधि की परीक्षा, साप्ताहिक परीक्षा और मध्यावधि परीक्षा युवा दिमाग पर बहुत दबाव डालती है।

भारतीय शिक्षा के सकारात्मक बिंदु :

भारतीय शिक्षा प्रणाली के कुछ नियम इस प्रकार हैं:

विभिन्न विषयों पर ज्ञान प्रदान करता है : भारतीय शिक्षा प्रणाली में एक विशाल पाठ्यक्रम शामिल है और कुछ नाम रखने के लिए गणित, पर्यावरण विज्ञान, नैतिक विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, अंग्रेजी, हिंदी और कंप्यूटर विज्ञान सहित विभिन्न विषयों पर ज्ञान प्रदान करता है। ये सभी विषय प्राथमिक कक्षाओं से ही पाठ्यक्रम का हिस्सा बनते हैं। इसलिए, छात्र कम उम्र से ही विभिन्न विषयों के बारे में ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं।

अनुशासन को बढ़ाता है : भारत के स्कूल अपनी टाइमिंग, टाइम टेबल, एथिकल कोड, मार्किंग सिस्टम और स्टडी शेड्यूल के बारे में बहुत खास हैं। छात्रों को स्कूल द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करने की आवश्यकता होती है अन्यथा उन्हें दंडित किया जाता है। यह छात्रों में अनुशासन को बढ़ाने का एक अच्छा तरीका है।

समझने की शक्ति बढ़ाता है : भारतीय स्कूलों में अंकन और रैंकिंग प्रणाली के कारण, छात्रों को अपने पाठ को अच्छी तरह से सीखना आवश्यक है। अच्छे अंक लाने और अपने सहपाठियों की तुलना में उच्च रैंक पाने के लिए उन्हें ऐसा करने की आवश्यकता है। वे ध्यान केंद्रित करने और बेहतर समझ के लिए विभिन्न तरीकों की तलाश करते हैं। जो लोग उन उपकरणों की पहचान करते हैं जो उन्हें बेहतर ढंग से समझने में मदद करते हैं वे अपनी लोभी शक्ति को बढ़ाने में सक्षम होते हैं जो उन्हें जीवन भर मदद करता है।

भारतीय शिक्षा प्रणाली की समय-समय पर आलोचना होती रही है। हमारी युवा पीढ़ी के समुचित विकास को सुनिश्चित करने के लिए इस प्रणाली को बदलने की जबरदस्त आवश्यकता है।

भारतीय शिक्षा प्रणाली पर निबंध, essay on indian education system in hindi (600 शब्द)

भारतीय शिक्षा प्रणाली दुनिया भर में सबसे पुरानी शिक्षा प्रणालियों में से एक है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बदलते समय और तकनीकी प्रगति के साथ अन्य राष्ट्रों की शिक्षा प्रणालियों में बड़े बदलाव आए हैं, लेकिन हम अभी भी पुरानी और सांसारिक प्रणाली के साथ फंसे हुए हैं। न तो हमारी प्रणाली ने पाठ्यक्रम में कोई बड़ा बदलाव देखा है और न ही शिक्षा प्रदान करने के तरीके में कोई महत्वपूर्ण बदलाव आया है।

भारतीय शिक्षा प्रणाली के दोष:

भारतीय शिक्षा प्रणाली में कई समस्याएं हैं जो किसी व्यक्ति के उचित विकास और विकास में बाधा डालती हैं। भारतीय शिक्षा प्रणाली के साथ मुख्य समस्याओं में से एक इसकी अंकन प्रणाली है। छात्रों की बुद्धिमत्ता का अंदाजा तीन घंटे के पेपर से लगाया जाता है नाकि उसके व्यवहारिक क्षमताओं से। उसके रटने की क्षमता को सराहा जाता है नाकि व्यावहारिक ज्ञान को।

ऐसे परिदृश्य में, अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए पाठ सीखना छात्रों का एकमात्र उद्देश्य बन जाता है। वे इससे परे सोचने में सक्षम नहीं हैं। वे अवधारणाओं को समझने या अपने ज्ञान को बढ़ाने के बारे में नहीं सोचते हैं, वे केवल अच्छे अंक लाने के तरीकों को सीखने की कोशिश करते हैं और इससे आगे उनकी सोच काम नहीं करती।

एक और समस्या यह है कि फोकस केवल सिद्धांत पर है। व्यावहारिक शिक्षा को कोई महत्व नहीं दिया जाता है। हमारी शिक्षा प्रणाली छात्रों को किताबी कीड़ा बनने के लिए प्रोत्साहित करती है और उन्हें जीवन की वास्तविक समस्याओं और चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार नहीं करती है।

शिक्षाविदों को इतना महत्व दिया जाता है कि छात्रों को खेल और कला गतिविधियों में शामिल करने की आवश्यकता को नजरअंदाज कर दिया जाता है। पढ़ाई के साथ छात्रों पर भी हावी हो रहे हैं। नियमित परीक्षा आयोजित की जाती है और छात्रों की हर कदम पर जांच की जाती है। इससे छात्रों में तीव्र तनाव पैदा होता है। जब वे उच्च कक्षाओं में जाते हैं, तो छात्रों का तनाव स्तर बढ़ता रहता है।

भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार के तरीके (changes needed in indian education system)

भारतीय शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए कई विचार और सुझाव साझा किए गए हैं। अच्छे के लिए हमारी शिक्षा प्रणाली को बदलने के कुछ तरीकों में शामिल हैं:

कौशल विकास पर ध्यान दें :  यह भारतीय स्कूलों और कॉलेजों के लिए समय है कि वे छात्रों के अंकों और रैंक को इतना महत्व देना बंद करें और इसके बजाय कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करें। छात्रों के संज्ञानात्मक, समस्या समाधान, विश्लेषणात्मक और रचनात्मक सोच कौशल को बढ़ाया जाना चाहिए। ऐसा करने के लिए उन्हें विभिन्न शैक्षणिक के साथ-साथ पाठ्येतर गतिविधियों के साथ-साथ सुस्त वर्ग के कमरे के सत्रों में शामिल करने के लिए शामिल होना चाहिए।

समकक्ष व्यावहारिक ज्ञान :  किसी भी विषय की गहन समझ विकसित करने के लिए व्यावहारिक ज्ञान बहुत महत्वपूर्ण है। हालाँकि, हमारी भारतीय शिक्षा प्रणाली मुख्यतः सैद्धांतिक ज्ञान पर केंद्रित है। इसे बदलने की जरूरत है। छात्रों को बेहतर समझ और आवेदन के लिए व्यावहारिक ज्ञान प्रदान किया जाना चाहिए।

पाठ्यक्रम को संशोधित करें :  हमारे स्कूलों और कॉलेजों का पाठ्यक्रम दशकों से समान है। यह बदलते समय के अनुसार इसे बदलने का समय है ताकि छात्र अपने समय के लिए अधिक प्रासंगिक चीजों को सीखें। उदाहरण के लिए, कंप्यूटर स्कूलों में मुख्य विषयों में से एक बन जाना चाहिए ताकि छात्र शुरू से ही कुशलता से काम करना सीखें। इसी तरह, अच्छा संचार कौशल विकसित करने के लिए कक्षाएं होनी चाहिए क्योंकि यह समय की आवश्यकता है।

किराया बेहतर शिक्षण स्टाफ :  कुछ रुपये बचाने के लिए, हमारे देश में शैक्षणिक संस्थान उन शिक्षकों को नियुक्त करते हैं जो अत्यधिक कुशल और अनुभवी न होने पर भी कम वेतन की मांग करते हैं। इस दृष्टिकोण को बदलना होगा। युवा मन को अच्छी तरह से पोषण देने के लिए अच्छे शिक्षण स्टाफ को काम पर रखा जाना चाहिए।

शिक्षाविदों से परे देखें : हमारे देश की शिक्षा प्रणाली को शिक्षाविदों से परे देखना होगा। छात्रों के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने के लिए खेल, कला और अन्य गतिविधियों को भी महत्व दिया जाना चाहिए।

निष्कर्ष :

जबकि भारतीय शिक्षा प्रणाली को बदलने की आवश्यकता पर कई बार जोर दिया गया है लेकिन इस संबंध में बहुत कुछ नहीं किया गया है। यह समय बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए और साथ ही साथ पूरे देश के लिए इस पुरानी प्रणाली को बदलने के महत्व को समझने का समय है।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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भारतीय शिक्षा-प्राणाली

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इस निबंध के अन्य शीर्षक / नाम

(1) वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर निबंध (2) हमारी शिक्षा कैसी हो पर निबंध (3) नई शिक्षा प्रणाली पर निबंध (4) नई शिक्षा प्रणाली के दोष पर निबंध

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पहले जान लेते है आधुनिक शिक्षा प्रणाली पर निबंध | शिक्षा प्रणाली के दोष पर निबंध | essay on education system in hindi की रूपरेखा ।

निबंध की रूपरेखा

(1) प्रस्तावना (2) आधुनिक शिक्षा प्रणाली के दोष (क) कर्तव्य बुद्धि का अभाव (ख) निरर्थक विषयो का समावेश (ग) उद्देश्यहीनता (घ) चरित्र की उपेक्षा (ङ) समय का दुरुपयोग (च) समाजीकरण का अभाव (3) आधुनिक शिक्षा प्रणाली में सुधार (4) उपसंहार

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शिक्षा समाज की आधारशिला है। शिक्षा के द्वारा ही योग्य नागरिकों का निर्माण होता है। ऐसे नागरिक कि जो समाज अथवा राष्ट्र का उत्थान और सुरक्षा कर सकते हैं।

शिक्षा के बिना व्यक्तित्व का विकास नहीं होता और व्यक्तित्व के विकास के बिना समाज का उत्थान सम्भव नहीं; अतः किसी समाज अथवा राष्ट्र के सर्वतोन्मुखी विकास के लिए उत्तम शिक्षा का होना आवश्यक है और उत्तम शिक्षा तब हों सकती है जब शिक्षा प्रणाली उत्तम हो।

परन्तु यह खेद का विषय है कि हमारी शिक्षा प्रणाली अति दृषित हैं। यही कारण है कि हमारे देश के विकास में पग-पग पर बाधाएं आ खड़ी होती हैं।

“होता है निर्माण देश का पाकर उतम् शिक्षा करें देश के सफल नागरिक ‘निज कर्तव्य समीक्षा क्या विस्मय यदि घिरी हुई हैं घोर धटाएँ काली जबकि देश में शिक्षा की दूषित हो गयी प्रणाली ॥”

आधुनिक शिक्षा प्रणाली के दोष

(क) कर्तव्य बुद्धि का अभाव.

आधुनिक शिक्षा प्रणाली में गुरु और शिष्य दोनों में कर्तव्यपालन की भावना नहीं है। दोनो अपने अधिकारों के पीछे हैं। यही कारण है कि शिष्य का सम्बन्ध टूटता जा रहा है।

न शिष्य को गुरु में श्रद्धा, विश्वास तथा भक्तिभावना है, न गुरु शिष्य से प्रेम-भाव। गुरु केवल धनार्जन के लिए शिक्षा देता है और शिष्य पैसे से शिक्षा मोल लेना चाहता है।

अतः दोनों में आत्मीयता का अभाव है। ऐसी दशा में विद्या जैसी पवित्र वस्तु का आदान-प्रदान असम्भव है। सोना, चाँदी या कागज के ट्रकड़ों के बदले में ज्ञान खरीदा या बेचा नहीं जाता है।

श्रद्धा और प्रेम के द्वारा जब तक हृदय से हृदय का मिलन न हो तब तक विद्या का आदान-प्रदान नहीं हो सकता है।

(ख) निरर्थक विषयों का समावेश

आधुनिक शिक्षा प्रणाली का ढाँचा पराधीनता के बातावरण में तैयार हुआ था।

यह वही शिक्षा प्रणाली है, जिसका सूत्रपात लार्ड मैकाले ने अँग्रेजी शासन को चलाने के उद्देश्य से किया था जिसका लक्ष्य सभ्य तथा उत्तम नागरिक बनाना नहीं, बल्कि क्लर्क अथवा शासन तन्त्र के पूर्जे तैयार करना था।

उसमें ऐसे निकम्मे और निरर्थक विषयों का समावेश है कि जो विद्यार्थियों के मस्तिष्क पर केवल बोझ है, जिनमें विद्यार्थियों की रुचि नहीं, न ही जीवन में उनकी उपयोगिता है।

(ग) उद्देश्यहीनता

आधुनिक शिक्षा का कोई उद्देश्य नहीं। उद्देश्यहीन शिक्षा उस नाविकहीन नौका के समान है जो तरंगों के थपेड़े खाती हुई या तो किसी भँवर में फंसकर पाताल में उतर जाये अथवा धारा में भटकती हुई किसी किनारे से जा टकराये ।

आज अधिकतर विद्यार्थी नौकरी पाने के उद्देश्य से पढ़ रहे हैं, माता-पिता भी उन्हें इसी उद्देश्य से पढ़ाते है। विद्यार्थी जब कालेज से निकलकर समाज में प्रवेश करता है,वह इतना निकम्मा और फैशनपरस्त होकर आता है कि उसके लिए जीवन भार हो जाता है।

वह सनदो और उपाधियों के बण्डल लेकर नौकरी की तलाश में भटकता है। उसकी विलास और फैशन की आवश्यकताएँ तो अनन्त हो जाती हैं किन्तु जीविका का साधन उसके पांस कुछ नहीं होता। स्वयं कुछ भी करने में असमर्थ वह दूसरों का मुँह ताकता है। इस प्रकार की निरुद्देश्य शिक्षा अंधेरे में छलांग लगाने के समान है।

(घ) चरित्र की उपेक्षा

महात्मा गांधी ने कहा था-“सच्ची शिक्षा का अंर्थ है-चरित्र निर्माण। यदि कोई शिक्षर चरित्र-निर्माण नहीं निर्माण पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। यह शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान तक ही अपने को सीमित रखती है।

बहुत- से छात्र-छात्राएँ चरित्रहीन हो जाते हैं। इस शिक्षा प्रणाली में नैतिक तथा धार्मिक शिक्षा के लिए कोई स्थान नही जिससे चरित्र का निर्माण होता है।

छात्र भयंकर व्यसनों के शिकार हो जाते हैं। राष्ट्र की भावी पीढ़ी उच्च मानवीय मूल्यों से सर्वथा अनभिज्ञ होतीं जा रही है। ये शिक्षित नवयुवक ही देश के भाबी कर्णधार होंगे।

(ङ) समय का दुरुपयोग

आधुनिक शिक्षा प्रणाली में छात्रों के समय का दुरुपयोग होता है। स्कूल या कालेज में चार-पाँच घण्टे पढ़ने के बाद उन्हें और कोई काम नहीं।

किसी ऐसी कला, हस्तकौशल अथवा उद्योग की शिक्षा उन्हें दी नहीं जाती जिसमें वे अपने फालतू समय का सदुपयोग कर सकें और आत्मनिर्भर बनना सीखें । शिक्षा प्रणाली के इस दोष के कारण ही अनुशासनहीनता की भारी समस्या पैदा हो गयी है।

‘खाली दिमाग शैतान का घर है। जब विद्यार्थी के सामने कोई काम नहीं होगा तो उसका मस्तिष्क तोड़-फोड़, हल्लड़बाजी, सिनेमा देखना, प्रेमपत्र लिखना आदि कुक़मों में ही लगेगा । आखिर मस्तिष्क को तो कुछ न कुछ करना ही है।

वास्तव में आधुनिक शिक्षा प्रणाली दूषित और निकम्मी है, इसमें आमूल परिवर्तन की आवश्यकता है। हमारी शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जिसमें गुरु और शिष्य के प्राचीन सम्बन्ध स्थापित हों, शिक्षा में नीति और धर्म का पर्याप्त समावेश हो।

राजनीतिज्ञ शिक्षा तन्त्र को अपने प्रचार तन्त्र के रूप में प्रयुक्त करते हैं । यह घोड़े के आगे गाड़ी लगाने वाली बात है। वास्तव में शिक्षा को पूर्ण स्वतन्त्र हीना चाहिए। शिक्षा प्रणाली ऐसी होनी चाहिए कि छात्रों का अधिक समय ज्ञान प्राप्ति, शक्ति-साधना तथा जीविकोपार्जन में बीते।

जब इस प्रकार की शिक्षा प्रणाली नहीं होगी तब तक उत्तम शिक्षा नहीं होगा और उत्तग शिक्षा के अभाव मे।सकती तो मैं उसे कुशिक्षा ही कहूँगा।” किन्तु आधुनिक शिक्षा प्रणाली में चरित्र व्यक्ति, राष्ट्र तथा समाज का कल्याण सम्भव नहीं।

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