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Saturday, april 13, 2024, powerpoint presentations - physical education ( class xii ).
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शारीरिक शिक्षा (Physical Education) का अर्थ एवं परिभाषा
शारीरिक शिक्षा Physical Education वह शिक्षा हैं जिसके अंतर्गत छात्रों को स्वस्थ रहने के तरीकों को सिखाया एवं उसकी महत्ता को दर्शाया जाता हैं। इस शिक्षा के अंतर्गत छात्र शरीर की आवश्यकताओं एवं स्वस्थ रहने हेतु विभिन्न कलाओं के विषय मे जानकारी एकत्रित करते हैं।
विद्यालय में सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों को सम्मिलित करना शारीरिक शिक्षा का ही एक भाग हैं। जिसकी सहायता से छात्रों को सक्रिय एवं स्वस्थ रखने का प्रयास किया जाता हैं। यह पोस्ट आपके लिए निम्न परीक्षाओं हेतु लाभदायक सिद्ध हो सकती हैं। जैसे- KVS , NVS , UTET, CTET एवं SSC से संबंधित अन्य परीक्षाएं। तो चलिए जानते हैं कि शारीरिक शिक्षा क्या हैं? अर्थ,परिभाषा एवं महत्व। What is Physical Education.
शारीरिक शिक्षा क्या हैं? What is Physical Education
शारीरिक शिक्षा से आशय शरीर से संबंधित शिक्षा प्रदान करना हैं। यह शिक्षा सामान्यतः व्यायाम,योग,साफ-सफाई,जिमनास्टिक, सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों आदि के माध्यम से प्रदान की जाती हैं। शारीरिक शिक्षा प्रदान करने का उद्देश्य मात्र छात्रों को स्वस्थ रखना ही नही हैं। अपितु मनोविज्ञान एवं बाल मनोविज्ञान के अंतर्गत इसे महत्वपूर्ण स्थान दिया गया हैं।
क्योंकि यह शरीर को ही नही अपितु छात्रों के मस्तिष्क एवं उनके व्यवहार में भी परिवर्तन लाने का कार्य करती हैं। यह छात्रों की मानसिक क्रियाओं को संतुलित रखने का कार्य करती हैं। यह शिक्षा का वह साधन है जो छात्रों को मानसिक,सामाजिक,बौद्धिक,आर्थिक सभी रूपो में प्रभावित करती हैं। यह छात्रों की मांसपेशियों का विकास करती हैं।
शारीरिक शिक्षा physical education क्रमबद्ध रूप से छात्रों का विकास करती हैं। यह मानसिक एवं बौद्धिक परिपक्वता में भी अपनी अहम भूमिका निभाती हैं। शिक्षा के क्षेत्र में शारीरिक शिक्षा को सम्मिलित किया जाना एक क्रांतिकारी परिवर्तन हैं। यह छात्रों के चरित्र एवं व्यक्तित्व का निर्माण करने में भी अपनी अहम भूमिका निभाती हैं। इसके विकास से छात्र समूहों में रहना सीखते है एवं सामाजिक कार्यो में अपना श्रम दान करते हैं।
शारीरिक शिक्षा की परिभाषा Definition of Physical Education
डेलबर्ट यूफर के अनुसार -“शारीरिक शिक्षा उन अनुभवों का सामूहिक प्रभाव है जो शारीरिक क्रियाओं द्वारा व्यक्ति को प्राप्त होता हैं।”
जे.एफ विलियम्स के अनुसार -“शारीरिक शिक्षा उन शारीरिक क्रियाओं को कहते है जिसका चुनाव उनके प्रभाव की दृष्टि से किया जाता हैं।”
रोजालैंड के अनुसार -“शारीरिक शिक्षा व्यक्ति के भीतरी अनुभवों के कारण व्यक्ति विशेष में होने वाले परिवर्तनों की कुल जोड़ को कहते हैं।
जे.बी नेश के अनुसार -“यह शिक्षा के संपूर्ण क्षेत्र का वह भाग हैं जिसका संबंध वृहद पेशी प्रक्रियाओं उनसे संबंधित अनु क्रियाओं के साथ हैं।”
हरबर्ट स्पेंसर के अनुसार -“पूर्ण अभिव्यक्ति के लिए शारीरिक,नैतिक,मानसिक क्रियाओं की आवश्यकता होती हैं।”
शारीरिक शिक्षा के उद्देश्य Aims of Physical Education
1. इस शिक्षा का मुख्य उद्देश्य छात्रों का सर्वांगीण विकास करना हैं। छात्रों का मानसिक एवं बौद्धिक विकास करना इसका मुख्य लक्ष्य हैं।
2. यह छात्रों को समाज के सहायक तत्व के रूप में तैयार करने का साधन हैं। जिसके द्वारा वह भविष्य में समाज के साथ समायोजन कर सकें।
3. इस शिक्षा द्वारा छात्रों को स्वस्थ रहने की कला एवं गुणवत्ता को समझाया जाता हैं, क्योंकि स्वस्थ शरीर मे ही स्वस्थ मस्तिष्क का निर्माण होता हैं।
4. यह शिक्षा छात्रों का भावात्मक विकास करती है। यह उनके संवेगात्मक पहलुओं में नियंत्रण लाने का कार्य करती हैं।
5. यह शिक्षा छात्रों की मांसपेशियों का विकास करने हेतु प्रदान की जाती है। जिसकी सहायता से वह निरंतर क्रियाशील बने रहते हैं।
शारीरिक शिक्षा का महत्व एवं आवश्यकता Need and Importance of Physical Education
शारीरिक शिक्षा द्वारा छात्र अपने समय का सदप्रयोग करना सीखते हैं। यह उनके चरित्र एवं व्यक्ति को निखारने का कार्य करती हैं। यह उनके भीतर व्याप्त कौशलों का विकास करती हैं एवं उनमें निपुणता लाने का कार्य करती हैं। यह शरीर से सम्बंधित सभी समस्याओं का निवारण करती हैं। यह संवेगात्मक रूप से छात्रों को संतुलित रखने की कला हैं।
इस शिक्षा के द्वारा छात्रों में अनुशासन एवं नैतिक मूल्यों का विकास किया जाता हैं। यह छात्रों को मानसिक एवं बौद्धिक दक्षता प्रदान करने हेतु बेहद लाभदायक हैं।
शारीरिक शिक्षा व्यक्ति एवं छात्रों को विकास की दिशा की ओर अग्रसर करती हैं। यह वह शिक्षा है जो व्यक्ति के सर्वांगीण विकास में अपनी अहम भूमिका निभाती हैं। यह छात्रों को क्रियाशील एवं सक्रिय अवस्था मे बनाये रखती हैं।
तो दोस्तो आज आपने जाना कि शारीरिक शिक्षा (Physical Education) का अर्थ एवं परिभाषा। अगर आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आई हो तो इसे अपने अन्य मित्रों के साथ भी अवश्य शेयर करें।
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37 thoughts on “शारीरिक शिक्षा (physical education) का अर्थ एवं परिभाषा”.
Achh Hai yrr Kisi Ke pass itni formation nahi hai is subject ke bare mein physical education ke bare mein aur likho
Shi Kha apne Anil Thanks…
Very nice study
Bahut bahut sukriya aap ka kal mera paper hai aur eski koi bhi book mujhe nhi mil rhe… Bahut bahut sukriya
Akash हमें यह जानकर अच्छा लगा कि हमारी यह पोस्ट आपकी परीक्षा में आपके काम आयी।
Thanks so much sir aapne bahut achhi information di physical aducation ki
Khushboo हमें आपके विचार सुन कर अति प्रसन्ता हुई।।
ye bhout easy language me hai me apne exam ki taiyari isi ko padh kr kr rahi hu …… Thanku so much sir 🙂
Mansi hume yh jankr khushi huyi ki hamari yh post apke exam me labhdayak siddh ho rhi hain…
Sir apki e post hmare exam me bhoot important rahi hai physical education ki koi information nhi thi par apki post se bhoot kuch sikha hai sir Thank you so much sir..🥰………
akash hm sadev apki sahayta ke liye upasthit hain…
Sir main bhi physical education padhna chahta hun
shubham apki choice acchi hain …good
Thankyou sir for your help I have to attend exam of physical education tomorrow but I have not a book of physical education. This help me a lot .
Bhuvnesh हमें यह जानकर अति प्रसंता हुई।
Thanks for your information’s sir Lakin mai bhi is information ko study karke mujhe bhi ab lagta hai ki yeh subject maire liye aacha sabit hoga BA kai liye Kya aap bataoge ki subject BA kai liye thik rhega
Kasish agr ap apna bhavishy PTI Teacher ki trf bnana chahte hain to ap jarur is vishay ka chayan kr sakte hain..
Aapkee jankari mujhe achi lagi
suraj hme yh janke accha lga..
Think you so much sir aapne bhut hi achi information di
Sheetal hume yh jankar accha lga
Thank you very much sir bhut achha content h Very useful for us 😇
Dhruv apka sukriyan hmme yh janke accha lga..
Thank you so much sir ..💁😊
Muskan apka dhanywad..
Physical education is wright best course subject Very student study
Neeraj ap shi keh rhe hai
Thanks Sir kl mera exam hy aur ye bahut easy language me bahut hi achhi tarah se samjh aa gya
Muskan thanks and exam k liye gud luck
Thank you sir mera kl.test h or me 1 week ki chooti pr thi jis karan me ye topic nhi pdh paayi aapki ye.post se mujhe buhut help.mil.gyi thxu so much please app phy sci ki aisi post daalte rahiyga 😊
Mohini hume yh jankr atyant khusi huyi…
Thank you so much sir
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- Physical Education
UGC NET Physical Education Study Notes[Study Material ]All Units/Topics in [Hindi & English] As per Updated Syllabus Read Now 2023
- Posted by DIWAKAR EDUCATION HUB
- Categories Physical Education
- Date February 22, 2023
- Comments 0 comment
UGC NET Physical Education! is One of The Important Subjects of UGC NET! Based on Health & Fitness Each Year More than 30000 Students Appeared for UGC NET Physical education. In This Article, I Mandeep Singh (NET/JRF Physical education) Here you can Check Complete Study Notes of Physical Education in English & Hindi
UGC NET Physical Education Study Notes in English –
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- Question 2. How Many Questions Comes from Each Unit of UGC NET Physical Education Subject ?
- Question 3- What is the Cut-off of UGC NET Physical Education ?
- Question 4 -What are the Best Books for UGC NET Physical Education Subject ?
- Question 5- Can I get a job after qualifying UGC NET Physical Education?
- Question -6 How can I revise the UGC NET Physical Education Syllabus?
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UGC NET Physical Education [Code-48] Latest Study Notes in English As per Updated Syllabus 2023 from Unit -1 to 10.
यूजीसी नेट शारीरिक शिक्षा [कोड-48] यूनिट-1 से 10 तक अद्यतन पाठ्यक्रम 2023 के अनुसार अंग्रेजी में नवीनतम अध्ययन नोट्स।
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Question 1. What is the Weightage of Paper-1 Subject in UGC NET Physical Education Paper-2 ?
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Physical Education in Hindi – शारीरिक शिक्षा का अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य और महत्व
प्राचीन काल से ही भारतीय शिक्षा व्यवस्था में Physical Education को महत्व दिया जाता रहा है । पहले गुरुकुल में पढ़ने वाले छात्रों को शारीरिक शिक्षा, योग और व्यायाम कराए जाते थे और आज स्कूलों, विश्वविद्यालयों में शारीरिक शिक्षा की पढ़ाई की जाती है । भारत में ऐसा माना जाता है कि छात्रों को बाकी विषयों के साथ साथ शारीरिक शिक्षा भी प्रदान की जाए ।
सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के अन्य कई देशों में शारीरिक शिक्षा पर काफी बल दिया जाता है । Physical Education न सिर्फ शरीर को स्वस्थ रखने की ओर एक बढ़िया कदम है बल्कि सफल जीवन के लिए भी ज़रूरी है । स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन ही सकारात्मक सोच सकता है और सफल हो सकता है । इसी मंत्र के साथ भारत सहित पूरी दुनिया में शारीरिक शिक्षा प्रदान की जा रही है ।
इस आर्टिकल में हम विस्तार से इसी विषय पर आपको जानकारी देंगे । आपको इसकी परिभाषा, फायदे, उद्देश्य, परिभाषा और किताबों सबकी जानकारी दी जायेगी । चाहें आप CTET और KVS जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हों या शारीरिक शिक्षा के बारे में जानने को इच्छुक होम, आप सभी के लिए यह आर्टिकल सहायक होगा ।
Physical Education क्या है ?
Physical Education यानि शारीरिक शिक्षा स्कूल में पढ़ाया जाने वाला एक ऐसा पाठ्यक्रम है जो शारीरिक स्वास्थ्य विकसित करने और दैनिक क्रियाकलापों में व्यक्ति की क्षमता को बढ़ाने पर केंद्रित है । इसके अलावा शारीरिक शिक्षा पोषण और स्वस्थ आदतों के बारे में भी शिक्षा प्रदान करता है ।
शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ शरीर को ही स्वस्थ रखना ही नहीं है बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य की भी बात करता है । इसके अंतर्गत मानसिक स्वस्थ, बाल मनोविज्ञान, मनोविज्ञान भी आते हैं । भारतीय दृष्टिकोण से देखें तो यह बच्चे के संपूर्ण व्यक्तित्व के विकास के लिए शरीर, मन और आत्मा में पूर्णता के लिए शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से शिक्षा है ।
उदाहरण के तौर पर स्कूलों या शिक्षण संस्थाओं में बास्केटबाल जैसे खेल आयोजित कराए जाते हैं । ऐसे खेल शारीरिक शिक्षा के अंतर्गत ही आते हैं और एक छात्र के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं ।चलिए Physical Education Examples पर नजर डालते हैं ।
Physical Education Examples
Physical Education के अंतर्गत सिर्फ छात्रों शारीरिक शिक्षा के गुण सिखलाना ही नहीं आता है । बल्कि इसके अंतर्गत छात्रों को विभिन्न शारीरिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए भी प्रेरित किया जाता है । कुछ गतिविधियां निम्नलिखित हैं:
- फुटबाल, क्रिकेट, कबड्डी जैसे खेल खेलना
- साइकिल चलाना
- व्यायाम क्रियाएं करना
ऐसे क्रियाकलाप जिसमें लगातार शरीर की मांसपेशियों का उपयोग हो रहा हो जैसे दौड़ना, उन्हें हम शारीरिक शिक्षा के उदाहरण के अंतर्गत रख सकते हैं । हालांकि अलग अलग देशों में Physical Education अलग अलग प्रकार से दी जाती है । उदाहरण के तौर पर भारत में कबड्डी जैसे खेल शारीरिक शिक्षा का एक बढ़िया उदाहरण हो सकता है तो वहीं चीन में जूडो, कराटे या मार्शल आर्ट ।
Physical Education Definition
दुनिया के अलग अलग विद्वानों ने Physical Education Definition अपने हिसाब से अलग अलग दी है । परीक्षाओं में अगर प्रश्न Subjective Nature का है तो नीचे दिए गए सभी विद्वानों द्वारा लिखी गई परिभाषाओं को आप उत्तर के तौर पर लिख सकते हैं । तो चलिए देखते हैं कि देश दुनिया के विद्वानों ने शारीरिक शिक्षा की परिभाषा क्या दी है ।
1. जे. बी. नाश: “शारीरिक शिक्षा शैक्षिक अनुशासन का वह हिस्सा है जो बड़ी मांसपेशियों की गतिविधि और उनकी प्रतिक्रियाओं से संबंधित है । शारीरिक शिक्षा का मूल लक्ष्य चलना, दौड़ना, खींचना, झुकना, पकड़ना और फेंकना (मोटर क्षमताओं) में सुधार करना है ।”
2. कोमेनियस: “शारीरिक गतिविधियां शैक्षिक उपकरण हैं जो इष्टतम वृद्धि और विकास को बढ़ावा देती हैं । शारीरिक शिक्षा न केवल शारीरिक गतिविधियों को करना है बल्कि स्वास्थ्य शिक्षा और मनोरंजन से भी संबंधित है ।”
3. चार्ल्स ए बूचर: “शारीरिक शिक्षा संपूर्ण शिक्षा प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग है और इसका उद्देश्य शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक रूप से स्वस्थ नागरिकों का विकास करना है, जिन्हें साकार करने की दृष्टि से चुना गया है ।”
4. इरविन: “शारीरिक शिक्षा शारीरिक गतिविधियों का एक कार्यक्रम है जो युवाओं में शरीर के विभिन्न कार्बनिक तंत्रों के माध्यम से स्वास्थ्य का विकास करता है: शारीरिक गतिविधियों में कौशल विकसित करता है जिसका आनंद, भावनात्मक विकास, मनोरंजन और मानव जीव के इष्टतम विकास के लिए निहितार्थ है । “
5. जेपी थॉमस: “शारीरिक शिक्षा बच्चे के संपूर्ण व्यक्तित्व के विकास और शरीर, मन और आत्मा में पूर्ण पूर्णता के लिए गतिविधियों के माध्यम से शिक्षा है ।”
विभिन्न विद्वानों ने अपने अपने हिसाब से शारीरिक शिक्षा की परिभाषा दी है, जिनमें से कुल 5 परिभाषाओं की जानकारी आपको ऊपर दी गई है । परीक्षाओं में अक्सर फिजिकल एजुकेशन की परिभाषा पर प्रश्न पूछे जाते हैं जिसके उत्तर में आप ऊपर दी गई जानकारी लिख सकते हैं ।
Aims of Physical Education
शारीरिक शिक्षा के ढेरों उद्देश्य हैं और सर्वोपरि उद्देश्य है छात्रों को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बनाना । चलिए बिंदुवार ढंग से Aims of Physical Education समझते हैं ।
- शारीरिक शिक्षा के मूल्य और स्वस्थ, सक्रिय जीवन शैली से इसके संबंध की सराहना करें और समझें ।
- शारीरिक तंदुरस्ती के अपने इष्टतम स्तर पर काम करें ।
- संचार, अभिव्यक्ति और सौंदर्य प्रशंसा से जुड़े रचनात्मक माध्यम के रूप में गति के बारे में जागरूक बनें
- विभिन्न प्रकार की शारीरिक गतिविधियों में सफलतापूर्वक भाग लेने के लिए आवश्यक मोटर कौशल विकसित करना
- शारीरिक गतिविधि के माध्यम से आनंद और संतुष्टि का अनुभव करें
- सामाजिक कौशल विकसित करना जो समूह गतिविधियों में टीमवर्क और सहयोग के महत्व को प्रदर्शित करता है
- विभिन्न प्रकार की शारीरिक गतिविधियों में ज्ञान और समझ दिखाएं और अपने और दूसरों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करें
- स्थानीय और सांस्कृतिक दोनों संदर्भों में शारीरिक गतिविधि पर गंभीर रूप से प्रतिबिंबित करने की क्षमता प्रदर्शित करें
- समुदाय में सीखे गए ज्ञान, कौशल और तकनीकों को दूसरों तक पहुँचाने की क्षमता और उत्साह प्रदर्शित करें
Objectives of Physical Education in Hindi
हमने ऊपर आपको जानकारी दी कि Physical Education का लक्ष्य क्या है और यह किस प्रकार न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है बल्कि छात्रों को नए कौशल सिखाने, उन्हें विभिन्न क्षेत्रों का ज्ञान प्रदान करने, जीवन मूल्य सिखाने से भी संबंधित है । फिजिकल एजुकेशन सिर्फ खेल के बारे में नहीं बल्कि उसके नियमों और मानकों की जानकारी भी देता है ।
अब चलिए एक नजर डालते हैं Objectives of Physical Education पर यानि शारीरिक शिक्षा के उद्देश्य क्या हैं । यह प्रश्न अक्सर परीक्षा में पूछा जाता है और इसका उत्तर आप बिंदुवार तरीके से दे सकते हैं ।
- शक्ति, गति, धीरज, समन्वय, लचीलापन, चपलता और संतुलन जैसी मोटर क्षमताओं का विकास करना, क्योंकि वे विभिन्न खेलों और खेलों में अच्छे प्रदर्शन के लिए महत्वपूर्ण पहलू हैं
- संगठित शारीरिक गतिविधियों, खेलों और खेलों में शामिल तकनीक और रणनीति विकसित करना
- मानव शरीर के बारे में ज्ञान प्राप्त करना क्योंकि इसकी कार्यप्रणाली शारीरिक गतिविधियों से प्रभावित होती है
- वृद्धि और विकास की प्रक्रिया को समझें क्योंकि शारीरिक गतिविधियों में भागीदारी का इससे सकारात्मक संबंध है
- सामाजिक-मनोवैज्ञानिक पहलुओं को विकसित करना जैसे भावनाओं पर नियंत्रण, संतुलित व्यवहार, नेतृत्व और अनुयायी गुणों का विकास और खेल और खेल में भागीदारी के माध्यम से टीम भावना
- सकारात्मक स्वास्थ्य संबंधी फिटनेस आदतें विकसित करें जिनका आजीवन अभ्यास किया जा सकता है ताकि अपक्षयी रोगों को रोका जा सके
Importance of Physical Education in Hindi
Importance of Physical Education पर बात करने से पहले हम एक बार दोबारा शारीरिक शिक्षा के अर्थ पर प्रकाश डालते हैं । सरल शब्दों में कहें तो शारीरिक शिक्षा में नियमित गतिविधियों में संलग्न होकर बच्चे के व्यक्तित्व के पूर्ण विकास और शरीर, मन और आत्मा में पूर्णता के लिए समग्र शिक्षा शामिल है ।
इसमें न सिर्फ एक छात्र के शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाता है बल्कि उसके मन और आत्मा की पूर्णता की शिक्षा भी दी जाती है । खासकर कि हमारे देश भारत में यह प्राचीन समय से चला आ रहा है जहां विभिन्न खेल, व्यायाम, योग क्रियाएं आदि छात्रों से गुरुकुल में कराए जाते थे । इससे उन छात्रों का संपूर्ण विकास होता था और वे मन, कर्म और वचन से सुदृढ़ बनते थे ।
- Distance Learning in Hindi
- e-learning in Hindi
- Online Learning Platforms in Hindi
- Aided vs Unaided Colleges in Hindi
- Autonomous vs Non Autonomous College in Hindi
- Literature Review in Hindi
- Teaching Aids in Hindi
इसलिए शारीरिक शिक्षा के फायदे सिर्फ और सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य तक ही सीमित नहीं है । हम दोबारा से बिंदुवार क्रम में Physical Education के महत्व को समझेंगे । इस तरीके से आपको ज्यादा अच्छे से सारी बातें समझ में आ जाती हैं और परीक्षा में लिखने में भी आपको आसानी होती है । अगर आज परीक्षा में शारीरिक शिक्षा की विशेषताएं पूछा जाता है तो आप नीचे दिए उत्तर को लिख सकते हैं ।
- शारीरिक शिक्षा कौशल विकसित करती है जो शारीरिक गतिविधियों में सुखद और पुरस्कृत भागीदारी की अनुमति देती है । नए कौशल सीखना आसान हो जाता है ।
- शारीरिक शिक्षा शारीरिक गतिविधि के प्रति अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देती है ।
- शारीरिक शिक्षा मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में प्रभावी है ।
- शारीरिक गतिविधि तनाव और चिंता मुक्त करने का एक उत्तम तरीका है ।
- शारीरिक शिक्षा बच्चों को वह समय और प्रोत्साहन देती है जिसकी उन्हें व्यक्तिगत, प्राप्त करने योग्य लक्ष्यों को निर्धारित करने और प्रयास करने के लिए आवश्यकता होती है ।
- शारीरिक शिक्षा बच्चों में आत्म अनुशासन के विकास में भी सहायक होती है ।
- बच्चों की मांसपेशियों की ताकत, लचीलापन, मांसपेशियों की सहनशक्ति, शरीर संरचना में सुधार करता है ।
- गुणवत्तापूर्ण शारीरिक शिक्षा नैतिक विकास को प्रभावित कर सकती है । छात्रों के पास नेतृत्व संभालने, दूसरों के साथ सहयोग करने और अपने स्वयं के व्यवहार के लिए जिम्मेदारी स्वीकार करने का अवसर होता है ।
Physical Education Books in Hindi
अगर आप Physical Education की पढ़ाई कर रहे हैं या करना चाहते हैं तो इसकी किताबें जरूर पढ़ें । इंटरनेट पर ढेरों किताबें आपको आसानी से मिल जायेंगी जिन्हें खरीद कर आप पढ़ सकते हैं । इसके अलावा कई किताबों के पीडीएफ फाइल भी इंटरनेट पर ही उपलब्ध है जिसे डाउनलोड करके भी पढ़ा जा सकता है ।
तो चलिए आपको शारीरिक शिक्षा की किताबों की जानकारी हम देते हैं ताकि उन्हें खरीद कर आप परीक्षा की तैयारी अच्छे से कर सकें । इन किताबों को आप Flipkart से आसानी से खरीद सकते हैं ।
1. स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा: डॉक्टर वी. के. शर्मा
2. यूजीसी नेट परीक्षा शारीरिक शिक्षा: डॉ अगस्टिन जॉर्ज
3. शारीरिक शिक्षा एक समग्र अध्ययन: डॉ श्याम नारायण सिंह
4. सम्पूर्ण शारीरिक शिक्षा: संजय मलिक
5. शारीरिक शिक्षा एक अभिनव संग्रह: डॉ अभिनव राठौड़
Physical Education से संबंधित कई प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं । इन सभी प्रश्नों को हमने सूचीबद्ध किया है और एक एक करके सबका उत्तर नीचे दिया गया है । हमने पूरी कोशिश की है कि ज्यादा से ज्यादा शारीरिक शिक्षा से संबंधित प्रश्नों का जवाब दिया जाए ।
1. शारीरिक शिक्षा का महत्व क्या है ?
शारीरिक शिक्षा एक छात्र के अंदर आत्म विश्वास, आत्म अनुशासन और मानसिक स्वास्थ्य के साथ साथ शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए काफी जरुरी है । शारीरिक शिक्षा छात्र के शरीर, मन और आत्मा में पूर्णता के लिए सहायक है ।
2. शारीरिक शिक्षा का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
शारीरिक शिक्षा का मुख्य उद्देश्य सकारात्मक स्वास्थ्य संबंधी फिटनेस आदतें विकसित करना है जिनका आजीवन अभ्यास किया जा सकता है ताकि अपक्षयी रोगों को रोका जा सके । यह छात्र या व्यक्ति के सर्वांगीण विकास में सहायक होता है ।
3. आधुनिक शारीरिक शिक्षा का जनक कौन है ?
आधुनिक शारीरक शिक्षा के जनक फ्रेडरिक जान को माना जाता है । हालांकि भारत में शारीरिक शिक्षा के जनक के रूप में हैरी बक का नाम लिया जाता है जिन्होंने वर्ष 2020 में चेन्नई में YMCA College of Physical Education की स्थापना की थी । इससे भारत में खेलों और शारीरिक शिक्षा के प्रति रुझानों में बढ़ोत्तरी देखने को मिली ।
I have always had a passion for writing and hence I ventured into blogging. In addition to writing, I enjoy reading and watching movies. I am inactive on social media so if you like the content then share it as much as possible .
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इसके पश्चात आप खुद का कोई बिजनेस स्टार्ट कर सकती हैं जैसे जिम ट्रेनिंग, योग सेंटर, स्पोर्ट्स सेंटर. कोर्स करने के उपरांत आपको इस फिल्ड की अच्छी जानकारी हो गई होगी जिसके इस्तेमाल आप खुद का व्यवसाय शुरू करने में कर सकती हैं. आप चाहें तो पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री भी हासिल कर सकती हैं अगर आपको अपनी जानकारी और बेहतर करनी है. साथ ही इस कोर्स से जुडी कई नौकरियां समय समय पर निकाली जाती हैं जिनमे आप अप्लाई भी कर सकती हैं.
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शारीरिक शिक्षा (पीई) के बारे में गलत धारणाएँ/ Misconceptions About Physical Education (PE) In Hindi
शारीरिक शिक्षा (पीई) के बारे में कई गलत धारणाएं हैं जो इसके मूल्य और प्रभावशीलता को कमजोर कर सकती हैं।
ग़लतफ़हमी: पीई केवल खेलने का समय है।
वास्तविकता: जबकि पीई कक्षाओं में खेल और गतिविधियाँ शामिल होती हैं, वे संरचित और उद्देश्यपूर्ण होती हैं। उनका लक्ष्य शारीरिक फिटनेस, मोटर कौशल और विभिन्न प्रकार की शारीरिक और संज्ञानात्मक क्षमताओं को विकसित करना है। पीई टीम वर्क, नेतृत्व और दृढ़ता जैसे महत्वपूर्ण जीवन कौशल भी सिखाता है।
ग़लतफ़हमी: पीई केवल एथलीटों के लिए है।
वास्तविकता: पीई हर किसी के लिए है, न कि केवल उनके लिए जो स्वाभाविक रूप से एथलेटिक हैं या खेल में रुचि रखते हैं। यह सभी छात्रों को अपनी शारीरिक फिटनेस में सुधार करने और उन गतिविधियों की खोज करने का अवसर प्रदान करता है जिनका वे आनंद लेते हैं। यह स्वास्थ्य और कल्याण के लिए आजीवन शारीरिक गतिविधि के महत्व पर भी जोर देता है।
गलत धारणा: पीई अकादमिक विषयों जितना महत्वपूर्ण नहीं है।
हकीकत: समग्र विकास के लिए शारीरिक शिक्षा जरूरी है। यह एकाग्रता, स्मृति और कक्षा व्यवहार में सुधार करके अकादमिक शिक्षा को पूरक बनाता है। शोध से पता चलता है कि शारीरिक गतिविधि संज्ञानात्मक कार्य को बढ़ावा देकर और तनाव को कम करके शैक्षणिक प्रदर्शन को बढ़ा सकती है।
गलत धारणा: पीई केवल शारीरिक फिटनेस पर ध्यान केंद्रित करता है।
वास्तविकता: जबकि शारीरिक फिटनेस एक प्रमुख घटक है, पीई मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक कल्याण को भी बढ़ावा देता है। यह छात्रों को तनाव का प्रबंधन करना, सहयोगात्मक रूप से काम करना और सकारात्मक आत्म-छवि विकसित करना सिखाता है।
ग़लतफ़हमी: डिजिटल युग में पीई प्रासंगिक नहीं है।
वास्तविकता: डिजिटल युग में, जहां गतिहीन जीवन शैली आम है, पीई पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है। यह लंबे समय तक स्क्रीन पर रहने के नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों को संबोधित करता है और सक्रिय जीवनशैली को प्रोत्साहित करता है जो पुरानी बीमारियों को रोक सकता है और समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकता है।
ग़लतफ़हमी: पीई कक्षाएं अकादमिक रूप से कठोर नहीं हैं।
वास्तविकता: प्रभावी पीई कार्यक्रम सुनियोजित और शैक्षिक मानकों पर आधारित होते हैं। उनमें मूल्यांकन, सीखने के उद्देश्य और प्रगति ट्रैकिंग शामिल हैं। पीई शिक्षक यह सुनिश्चित करने के लिए साक्ष्य-आधारित प्रथाओं का उपयोग करते हैं कि छात्र व्यवस्थित तरीके से सीख रहे हैं और कौशल विकसित कर रहे हैं।
गलत धारणा: पीई पूरी तरह प्रतिस्पर्धा के बारे में है।
वास्तविकता: जबकि प्रतिस्पर्धी खेल पीई का एक हिस्सा हैं, पाठ्यक्रम में गैर-प्रतिस्पर्धी गतिविधियां भी शामिल हैं जो व्यक्तिगत फिटनेस, सहकारी खेल और व्यक्तिगत कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करती हैं। इसका उद्देश्य शारीरिक गतिविधि के प्रति एक संतुलित दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है जिसमें प्रतिस्पर्धा और मनोरंजन दोनों शामिल हैं।
ग़लतफ़हमी: पीई जीवन के लिए उपयोगी कुछ भी नहीं सिखाता।
वास्तविकता: पीई लक्ष्य-निर्धारण, समय प्रबंधन, लचीलापन और स्वस्थ जीवन शैली के महत्व जैसे मूल्यवान जीवन कौशल सिखाता है। यह छात्रों को ऐसी आदतें विकसित करने में मदद करता है जो दीर्घकालिक शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में योगदान करती हैं।
गलत धारणा: पीई केवल शारीरिक स्वास्थ्य के बारे में है।
वास्तविकता: पीई चिंता और अवसाद के लक्षणों को कम करके, मूड में सुधार करके और समग्र भावनात्मक कल्याण को बढ़ाकर मानसिक स्वास्थ्य पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। यह छात्रों को शारीरिक गतिविधि के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करता है, जो वयस्कता तक जारी रह सकता है।
गलत धारणा: पीई विकलांग छात्रों के लिए नहीं है।
वास्तविकता: समावेशी पीई कार्यक्रम सभी क्षमताओं के छात्रों को समायोजित करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। अनुकूलित शारीरिक शिक्षा सुनिश्चित करती है कि विकलांग छात्र शारीरिक गतिविधियों में भाग ले सकें और लाभ उठा सकें, जिससे उनके शारीरिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास को बढ़ावा मिले।
इन गलतफहमियों को दूर करके, हम शारीरिक शिक्षा के व्यापक मूल्य की बेहतर सराहना कर सकते हैं और शैक्षिक प्रणाली में इसकी आवश्यक भूमिका की वकालत कर सकते हैं।
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